बुधवार, 8 मार्च 2017

ग़ज़लें          

डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’


बताऊँ कैसे तुम्हें क्या है अपना हाल मियाँ ,
यहाँ तो जिंदगी ही बन गयी सवाल मियाँ .
बड़ा है शोर तरक्की का हर तरफ लेकिन ,
हमें नसीब नहीं अब भी रोटी-दाल मियाँ .
हमारे दौर का अहसास मर गया शायद ,
किसी भी अश्क को मिलता नहीं रुमाल मियाँ .
भरोसा करके जिन्हें रहनुमा चुना हमनें ,
हमारे हक का वही काट रहे माल मियाँ .
समझ गयी है तुम्हारा फरेब हर मछली ,
चलो समेट लो अब तुम भी अपना जाल मियाँ .
हैं कौन लोग लुटेरे हमारी खुशियों के ,
हमारे मन में भी अब उठते हैं सवाल मियाँ ..
                *************
वक़्त के सांचे में अब तुम भी ढलो शम्स जी ,
छल रहे हैं जो तुम्हें उनको छलो शम्स जी .
सब अंधेरा बांटते हैं इस नगर में आजकल ,
चाहते हो रोशनी तो खुद जलो शम्स जी .
क्या नहीं होता इरादों में अगर हो जान तो ,
हौसलों की बांह थामें बढ़ चलो शम्स जी .
ये नदी है प्यार की लम्बी बहुत गहरी बहुत ,
डूब जाओगे इसकी थाह लो शम्स जी .
आपके अशआर सुनकर कौन है जो दाद दे ,
गूंगे-बहरों की सभा से फूट लो शम्स जी .                                                                                                
**********                             
                                
यूं तो कहने को हम आधुनिक हो गए ,
सुख के दिन जिंदगी में क्षणिक हो गए .
सामना सच का करने लगे हैं सभी ,
'
मूल्य' सच के सभी काल्पनिक हो गए .
गांधी ,गौतम के इस देश में जाने क्यों ,
 
हर तरफ क्रूर-निर्मम वधिक हो गए .
हर तरफ आसुरी वृत्तियाँ हैं यहाँ ,
राम दुर्लभ हैं , रावण अधिक हो गए .
भावनाएं हमारी लगे बेचने ,
चौथे खम्बे सभी अब वणिक हो गए .
जाति में , धर्म में , क्षेत्र में बंट गए ,
हम बहुत थे मगर अब तनिक हो गए .
प्रेम में इस कदर आत्मिक हम हुए ,
सूक्ष्म से सूक्ष्मतर वायविक हो गए .
शब्द की जबसे ताकत मिली 'शम्स ' को ,
वो मुखर हो गए , साहसिक हो गए .
जब घोटाले में पकड़े गए आप तो ,
दिल की धड़कन बढ़ी और 'सिक ' हो गए .
***************
‘तंत्र ’ तो रंगीनियों में मस्त है ,
‘लोक’ है बदहाल ,बेहद पस्त है .
तन भले ही हो गया सन्यस्त है ,
मन विकारों से अभी तक ग्रस्त है .
खुद से मिलने की नहीं फुर्सत उसे ,
आज का हर व्यक्ति इतना व्यस्त है .
देखकर कीमत न चौंकें मान्यवर ,
इसमें ‘सुविधा-शुल्क’ भी विन्यस्त है .
रहनुमाओं लूट लो जी भर इसे ,
देश इसका हो चुका अभ्यस्त है .
‘शम्स’ की आँखों में सपने हैं अभी ,
वो नए कल के लिए आश्वस्त है .

डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
वरिष्ठ प्रवक्ता : जवाहर नवोदय विद्यालय
ग्राम - घुघुलपुर , पोस्ट-देवरिया,
ज़िला - बलरामपुर-२७१२०१ , उ .प्र .
मोबाइल -09559304131














कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें