सोमवार, 20 मार्च 2017

दोहे

ज्यों के त्यों हैं गाँव सब घर-घर वही किसान .
परिवर्तन के सुख मगर लूटें ग्राम प्रधान .
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सामंतों के देश में दमन भूख संत्रास .
लोकतंत्र का कर रहे गाँव-गाँव उपहास .
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कागज़ पर ही बस हुआ थोड़ा-बहुत विकास .
तब भी गाँव हताश थे अब भी गाँव हताश .
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सपने खोकर नगर में भटक रहे हम यार .
इससे तो अच्छा वही अपना गाँव-जंवार.
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फसल कटी चिंता हटी घर में हुआ अनाज .
पिछली रंजिश के हुए तीखे हर अंदाज़ .
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बात न्याय की क्या करें हाल हुआ बेहाल .
पुलिस-अदालत हो गई अब जी का जंजाल .
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चिंता सर पर चढ गई बेटी हुई जवान .
कर्ज माँगता फिर रहा बूढा बाप किसान .
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अबकी जल बरसा नहीं खाली है खलिहान .
अगहन में गौना बदा साँसत में है जान .
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जब-जब साहूकार नें करवाया बेगार .
पानी पीकर सो गया मंगरू का परिवार .
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ठाकुर के दालान में होने लगा जमाव .
परधानी का आ गया अब नज़दीक चुनाव .
डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
वरिष्ठ प्रवक्ता : जवाहर नवोदय विद्यालय
ग्राम - घुघुलपुर , पोस्ट-देवरिया,

ज़िला - बलरामपुर-२७१२०१ , उ .प्र .

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