गीत :
डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
विष बुझी जब-जब हवायें चल पड़ीं ,
डाल से गिरने लगीं तब पत्तियां .
खूंटियों पर स्वार्थ के
लटकी हुई ,
छ्द्मवेशी आस्थायें डोलतीं
हैं .
लाभ हो या हानि लेकिन तुला
पर ,
स्वयं को संवेदनायें तोलतीं
हैं .
है समय के कक्ष में फिर से घुटन ,
बन्द सारे द्वार सारे खिड़कियां
है यहां कुछ शेष पैनापन अभी ,
सृजन की मिटती-मिटाती धार
में .
दर्द की स्मारिकायें छाप कर ,
बेचते हैं लोग अब बाज़ार में
.
खूबसूरत जिल्द से भीतर छपी ,
अर्थ अपना पूछ्ती हैं पंकितयां .
सांस लेकर कैक्टस की छांव
में ,
ज़िन्दगी अब प्रगतिवादी हो
गयी है .
किन्तु सूनापन अखरता है
बहुत ,
जैसे कोई चीज़ अपनी खो गयी
है .
बिन पढ़े ही देखिए फेंकी गयीं ,
डस्टबिन में प्यार की सब चिट्ठियां .
डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
वरिष्ठ प्रवक्ता : जवाहर नवोदय विद्यालय
ग्राम - घुघुलपुर , पोस्ट-देवरिया,
ज़िला - बलरामपुर-२७१२०१ , उ .प्र .
मोबाइल -09559304131
इमेल-yogishams@yahoo.com