सोमवार, 20 मार्च 2017

दोहे

दीप जलाकर मत करें उजियारे का शोर .
देना है तो दीजिए हमें सुनहरी भोर .
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लिखा दीप ने गर्व से पत्र सूर्य के नाम .
जगकर मैंने रात भर किया तुम्हारा काम .
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दीपक की सम्वेदना पा बाती का प्यार .
रचने लगी उमंग में ज्योतिर्मय संसार .
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प्रियवर मेरे जब कभी आये आप समीप .
अरमानों के जल उठे मन में सौ-सौ दीप .
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बाती जैसा मन हुआ हुआ तेल-सा नेह .
दीपक जैसी रात भर जली सेज पर देह .
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जली वर्तिका रात भर जला साथ में तेल .
दोनों को जलना पड़ा यही प्यार का खेल .
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डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
वरिष्ठ प्रवक्ता : जवाहर नवोदय विद्यालय
ग्राम - घुघुलपुर , पोस्ट-देवरिया,
ज़िला - बलरामपुर-२७१२०१ , उ .प्र .
मोबाइल -09559304131

इमेल-yogishams@yahoo.com

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