लिखा दीप ने गर्व से पत्र सूर्य के नाम .
जग कर मैंने रात भर किया तुम्हारा काम ..
*****
दीप जला कर मत करें उजियारे का शोर .
देना है तो दीजिए हमें सुनहरी भोर ..
****
दीपक की संवेदना पा बाती का प्यार .
रचने लगी उमंग में ज्योतिर्मय संसार ..
****
प्रियवर मेरे जब कभी आये आप समीप .
अरमानों के जल उठे मन में सौ-सौ दीप ..
****
बाती जैसा मन हुआ , हुआ नेह -सा नेह .
दीपक जैसी रात भर जली सेज पर देह ..
सभी मित्रों को दीप पर्व की अनंत शुभकामनाएं .
डा. दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
जग कर मैंने रात भर किया तुम्हारा काम ..
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दीप जला कर मत करें उजियारे का शोर .
देना है तो दीजिए हमें सुनहरी भोर ..
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दीपक की संवेदना पा बाती का प्यार .
रचने लगी उमंग में ज्योतिर्मय संसार ..
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प्रियवर मेरे जब कभी आये आप समीप .
अरमानों के जल उठे मन में सौ-सौ दीप ..
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बाती जैसा मन हुआ , हुआ नेह -सा नेह .
दीपक जैसी रात भर जली सेज पर देह ..
सभी मित्रों को दीप पर्व की अनंत शुभकामनाएं .
डा. दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'