बुधवार, 29 मार्च 2017

बाल कवितायें



-डॉ. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’

सूरज
उजियारे को लाता सूरज .
रोज सवेरे आता सूरज .
नन्ही किरणों से इस जग को ,
है गतिशील बनाता सूरज .
चिडियाँ चहकीं इसे देखकर ,
सुरभित पुष्प खिलाता सूरज .
आते हैं जब सर्दी के दिन ,
सबके मन को भाता सूरज .
गर्मीं के मौसम में सबको ,
आखिर खूब सताता सूरज .
बस आगे ही बढ़ते रहना ,
ये सन्देश बताता सूरज .


बादल
उमड़-घुमड़ कर आये बादल .
देखो नभ पर छाये बादल .
प्यास बुझाने को धरती की ,
लेकर पानी आये बादल .
पहनाने के लिए धरा को ,
चूनर धानी लाये बादल .
नाचा मोर पपीहा कुहुका ,
जिसे देख हरषाये बादल .



फूल
सुन्दर-सुन्दर प्यारे फूल .
रंग-बिरंगे न्यारे फूल .
सारे उपवन को महकाते ,
सबके बड़े दुलारे फूल .
बाँध रहे हैं आकर्षण में ,
करते मधुर इशारे फूल 

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