गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

शिक्षण में आई.सी.टी.(ICT) का प्रयोग

 

 

शिक्षण में आई.सी.टी.(ICT) का प्रयोग

We need technology in every class-room and in every student and teachers’s hand because it is the pen paper of our time and it is the lens through which we experience much of our word

-    David Warlick

 आईसीटी का मतलब है सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and communication technology) | इन्टरनेट के व्यापक विस्तार के साथ ही पूरी दुनिया में सूचना और संचार की क्रान्ति आई है | सूचनाओं का आदान-प्रदान इतना तेज़ हुआ है कि पूरी दुनिया एक गाँव में तब्दील हो गई है | वैश्वीकरण की अवधारणा को ज़मीनी हक़ीक़त में तब्दील करने का श्रेय सूचना क्रान्ति को ही जाता है | आईसीटी को सूचना के संचार , निर्माण , भंडारण और प्रबंध के लिए उपकरणों एवं संसाधनों के विविध समूह के रूप में परिभाषित किया गया है | इन उपकरणों में रेडियो , मोबाइल , टेलीविज़न , डिजिटल बोर्ड  कंप्यूटर , उपग्रह , वायरलेस , और इन्टरनेट को शामिल किया गया है | हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों तरह  के डिवाइस इसके उपकरणों में शामिल हैं | आज सामाजिक जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से लाभान्वित न हो रहा हो | यहाँ इसके विस्तार में जाने की आवश्यकता नहीं है |

अन्य क्षेत्रों की तरह शिक्षा क्षेत्र में भी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने एक बड़े बदलाव की शुरुआत की है और ज्ञान-विज्ञान की अनंत दुनिया के द्वार खोल दिये हैं | शिक्षा में आईसीटी के इस्तेमाल ने शिक्षण को सरल , प्रभावी , रुचिकर , मनोरंजक बनाया है तथा अधिगम में बहगुणित वृद्धि की है | इन्टरनेट ने ज्ञान के भंडारण को इतना सुलभ बनाया है कि यह समय व भूगोल की सीमाओं का अतिक्रमण कर किसी भी जगह व किसी भी समय सर्वसुलभ हो गया है | शिक्षा के क्षेत्र में आईसीटी से होने वाले लाभों पर एक दृष्टि दाल लेना उचित होगा –

1-  शिक्षा की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए तथा विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए आईसीटी का महत्त्व है | जहां एक कक्षा में अधिकतम 40 से 100 तक विद्यार्थी बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं वहीं अब ऑनलाइन माध्यम से यूट्यूब पर शिक्षक हजारों विद्यार्थियों तक एक साथ अपनी पहुँच बना सकता है |

2-  शिक्षा-अधिगम प्रक्रिया को सूचना-संचार तकनीकी ने सरल , सुबोध एवं सुगम बनाया है |

3-  विद्यार्थियों की योग्यतानुसार पाठ्य-सामग्री को आसान बनाने में आईसीटी एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है |

4-  आईसीटी ने औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा के फर्क को खत्म कर दिया है | अब विद्यार्थी बिना विद्यालय गए किसी भी विषय के श्रेष्ठ शिक्षक से ऑनलाइन पढ़ सकता है | वहीं कक्षा-शिक्षण में अध्यापक आईसीटी का इस्तेमाल करके शिक्षण को और प्रभावी बना सकता है | इस तरह आईसीटी औपचारिक , अनौपचारिक दोनों माध्यमों में मुख्य भूमिका निभाता है |

5-  आईसीटी ने दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र को सशक्त किया है |

6-  आईसीटी के इस्तेमाल से शिक्षण-प्रक्रिया आनंददायक व रोचक बनती है तथा विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति अभिप्रेरणा (motivation) पैदा होती है |

7-  सभी प्रकार के प्रशिक्षणों में आईसीटी एक लोकप्रिय साधन के रूप में इस्तेमाल होता है | ज़्यादातर प्रशिक्षक पवार प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हैं |

8-  चूंकि आईसीटी दृश्य-श्रव्य दोनों माध्यम है इसलिए यह अधिगम को स्थायी बनाता है |

9-  आईसीटी का प्रयोग अध्यापक व विद्यार्थी दोनों के समय व श्रम की बचत करता है |

10-         आईसीटी सभी प्रकार विद्यार्थियों को समान अवसर देता है |

11-         यह विद्यार्थियों व शिक्षकों के कौशल का विकास करता है |

12-         शिक्षण ही नहीं आईसीटी पाठ्य-सामग्री के निर्माण व विद्यार्थियों के वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन में भी सहायक है |

उपरोक्त विवेचन शिक्षण में आईसीटी के महत्त्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है अतः शिक्षकों को आईसीटी का प्रयोग करना चाहिए लेकिन आईसीटी के प्रयोग में कुछ सावधानी और ध्यान रखने योग्य बातें हैं जिनके अभाव में हम न केवल अधिकतम परिणाम पाने से वंचित रह जाएँगे बल्कि कई बार इसके नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं | आईसीटी के प्रयोग में ध्यान रखने योग्य बातों का विश्लेषण निम्नलिखित है –

1-  आईसीटी की दुनिया वैविध्य भारी व बहुआयामी है | शिक्षा के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल अभी प्रारम्भिक अवस्था में है | पुराने शिक्षक जहां इसके इस्तेमाल से झिझकते हैं वहीं वे शिक्षक जो इसका प्रयोग कर रहे हैं , वे भी सिर्फ पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन व यूट्यूब से आगे नहीं बढ़ पाएँ हैं | शिक्षकों को इसके अधिकाधिक आयामों को एक्सप्लोर करने की दिशा में संकोच त्यागकर आगे बढ़ना चाहिए |

2-  तकनीकी का इस्तेमाल सिर्फ एक सहायक टूल की तरह होना चाहिए | पूरी तरह तकनीकी पर निर्भरता शिक्षक की उपादेयता को ही खत्म कर देगा | मैंने देखा है कुछ शिक्षक पूरे पाठ को ही पावर प्वाइंट की स्लाइड पर टाइप कर लाते हैं और विद्यार्थियों के सामने उसी स्लाइड को चलाकर अपने शिक्षण की इतिश्री कर लेते हैं | ये ग़लत तरीका है | स्लाइड पर सिर्फ महत्त्वपूर्ण बिन्दु टाइप होने चाहिए फिर उनका विस्तार , व्याख्या , विश्लेषण यह सब शिक्षक को खुद ही करना चाहिए | इसी तरह कई अध्यापक स्मार्ट बोर्ड पर यूट्यूब खोल लेते हैं और संबन्धित प्रकरण पर यू ट्यूब पर किसी शिक्षक की क्लास शुरू करके खुद एक किनारे निष्क्रिय बैठ जाते हैं | यदि विद्यार्थी को यू ट्यूब से ही पढ़ना है तो वह अपने घर पर मोबाइल या लैपटॉप पर खुद ही पढ़ लेगा फिर उसे विद्यालय आने की आवश्यकता क्या है या उसे आपकी क्या आवश्यकता | हर शिक्षक के पढ़ाने की शैली अलग होती है | विद्यार्थी को अपनी शैली का मुरीद बनाइये | इसके लिए ज़रूरी है कि तकनीकी को सिर्फ सहायक की तरह प्रयुक्त करें उस पर पूरी तरह निर्भर न हों |

3-  आईसीटी उपकरणों का अत्यधिक इस्तेमाल शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं | इन उपकरणों से निकालने वाला विकिरण (radiation) तंत्रिका-तंत्र (nerves system) के स्वास्थ्य  के लिए अच्छा नहीं है | लगातार स्क्रीन को देखना आँखों के लिए हानिकारक है | आईसीटी उपकरण , खासकर मोबाइल , बच्चों को और कुछ हद तक बड़ों को भी एडिक्ट बनाते हैं | उन्हें इसकी लत लग जाती है | वे ज़िंदगी की हर समस्या का समाधान गूगल पर ही ढूँढने लगते है | सामाजिक जीवन से कट कर धीरे-धीरे वे एकाकी होते जाते हैं | ये एडिक्शन कई गंभीर मनोरोगों को जन्म देता है | अतः आईसीटी उपकरणों  का इस्तेमाल संतुलित होना चाहिए | इसकी अधिकता घातक है |

4-  यदि आपको लगातार अपनी पसंद का पका-पकाया खाना मिलता रहे तो आप खुद खाना पकाने का कष्ट कभी नहीं उठाएंगे और न ही कभी आप पाक कला में पारंगत हो पाएंगे | ठीक यही स्थिति आजकल विद्यार्थियों की हो गई है | इन्टरनेट पर ज्ञान और सूचनाओं का अपार भंडार उपलब्ध है जिसे सिर्फ एक क्लिक से पाया जा सकता है | विद्यार्थी अपनी हर समस्या , हर प्रश्न का उत्तर इन्टरनेट पर खोज ले रहा है | उसे तथ्यों के आधार पर खुद विश्लेषित करके , तर्क का प्रयोग करके सटीक समाधान तक खुद पहुँचने की आवश्यकता नहीं रह गई है | इस कारण विद्यार्थी की तर्क व विश्लेषण करने की क्षमता घट रही है | बना-बनाया स्टडी माटेरियल मिल जाने के कारण खुद लिखने की आदत छूट रही है जिसने उसके लिखित अभिव्यक्ति कौशल को कम किया है | आईसीटी के इस साइड-इफेक्ट के प्रति भी सजग रहने की आवश्यकता है |

अंततः कहा जा सकता है कि शिक्षा के क्षेत्र मे आईसीटी का प्रयोग एक अनिवार्य आवश्यकता बन गया है | समय की जरूरत को समझते हुये अध्यापको को इसका समुचित व संतुलित प्रयोग पूरी क्षमता और विविध आयामों के साथ करना चाहिए |

 

 

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