सहायक-सामग्री
(Teaching aids)
बी॰
एड॰ प्रशिक्षण को छोडकर अधिकांश शिक्षक नामिका निरीक्षण (panel inspection ) या
फिर किन्हीं विशेष अवसरों पर ही सहायक सामग्री का प्रयोग करते हैं | नामिका निरीक्षण , जांच इत्यादि के प्रावधान भी
सरकारी विद्यालयों में हैं , निजी विद्यालयों में तो वह भी
नहीं है | निजी विद्यालयों में बहुतेरे शिक्षकों ने बीएड भी
नहीं किया होता तो इन अध्यापकों को बीएड प्रशिक्षण के दौरान प्रेक्टिस टीचिंग में
सहायक सामग्री के इस्तेमाल का अवसर भी नहीं मिला होता | सच
तो यह है कि हमारे अधिकांश शिक्षकों को सहायक सामग्रियों के प्रयोग का महत्त्व पता
ही नहीं है | आजकल निजी महाविद्यालयों में जिस प्रकार बी एड , बीटीसी के प्रशिक्षण संचालित होते हैं उनकी सच्चाई से हम सभी परिचित हैं | इसके विस्तार में जाने की आवश्यकता नहीं है |
वास्तव में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के सबसे महत्त्वपूर्ण ,
सबसे जीवंत संसाधन की उपेक्षा होती है | वहीं मेरे सामने कई
उदाहरण ऐसे शिक्षकों के भी हैं , जिन्होने सहायक सामाग्री का
नवाचारी व रचनात्मक प्रयोग करके न केवल अपने अध्यापन को आकर्षक व प्रभावी बनाया
बल्कि अपेक्षित परिणाम भी हासिल किए | मेरे गुजरात पोस्टिंग
के दौरान एक सहकर्मी डॉ॰ रवीन्द्र प्रसाद ओझा जी प्रत्येक कक्षा में सहायक सामग्री
के साथ ही जाते थे | मुझे याद है NCERT की कक्षा - की हिन्दी की पाठ्य पुस्तक के एक पाठ में
बढ़ईगिरी से संबन्धित तमाम औजारों का ज़िक्र है | तो रवीन्द्र प्रसाद जी नजदीकी
बाज़ार के एक बढ़ई के पास गए और उससे काफी मिन्नतें करके , कुछ पैसे भी देकर उसके तमाम औज़ार
एक दिन के लिए मांग लाये | वे उस पाठ को पढ़ाते समय वो सारे औज़ार जैसे- रंदा , आरी इत्यादि कक्षा में लेकर गए | उन्होने उन औजारों का नाम बताते
हुये उन्हें विद्यार्थियों को दिखाया तथा उनके काम करने का तरीका भी समझाया | अब आप उस कक्षा में विद्यार्थियों
की रुचि और उनके अधिगम का अनुमान स्वतः लगा सकते हैं | रवीन्द्र जी अपने विद्यालय के
सबसे लोकप्रिय शिक्षक हैं | विद्यार्थी उनकी कक्षा कभी नहीं छोडते | | अतः कह सकते हैं कि वही शिक्षक
विद्यार्थियों के लिए आदर्श होता है और उसका शिक्षण आदर्श शिक्षण कहलाता है जो
अपनी पाठ्य-सामाग्री को रोचक सहायक सामग्री के साथ प्रस्तुत करता है | क्योंकि ये न केवल विद्यार्थियों
का ध्यान खींचती हैं बल्कि उन्हें उचित प्रेरणा भी देती हैं |
शिक्षाशास्त्री देण्ड के अनुसार – सहायक सामग्री वह सामग्री
है जो कक्षा या अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या बोली गई पाठ्य सामग्री को
समझने में सहायता प्रदान करती हैं |
शिक्षाशास्त्री कार्टर ए गुड के अनुसार – कोई भी ऐसी
सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उदीप्त किया जा सके , अथवा श्रवणेंद्रीय संवेदनाओं के
द्वारा आगे बढ़ाया जा सके वह सहायक सामग्री है |
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सहायक सामग्री वह
सामग्री , उपकरण तथा युक्तियाँ हैं जिनके
प्रयोग करने से विभिन्न शिक्षण परिस्थितियों में विद्यार्थियों और समूहों के मध्य
प्रभावशाली ढंग से ज्ञान का संचार होता हो |
सहायक सामग्री के प्रकार - सहायक सामग्री कई तरह की हो
सकती हैं | शिक्षक अपने पाठ्य सामग्री की
आवश्यकता के अनुरूप तथा अपनी रचनात्मक समझ के अनुरूप किसी भी वस्तु को सहायक
सामग्री के रूप भी प्रयुक्त कर सकता है | मुख्य रूप से सहायक सामग्री के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं –
1- श्रव्य सहायक सामग्री – इसके अंतर्गत मौखिक उदाहरण , रेडियो , टेपरिकार्डर , ग्रामोफोन इत्यादि को रखा जा सकता
है |
2- दृश्य सहायक सामग्री – श्यामपट , बुलेटिन बोर्ड , , फ्लेनिल बोर्ड , मानचित्र , ग्लोब , चित्र , रेखाचित्र , कार्टून , माडल , पोस्टर , कैलेंडर , स्लाइड्स , पुस्तक , पत्रिका ,
फिल्म स्ट्रिप्स आदि को दृश्य सहायक सामग्री के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता
है |
3- श्रव्य-दृश्य सहायक सामग्री – इसका आशय है ऐसी सहायक सामग्री जिसे देखा भी जाये और
सुना भी जाये | इसके अंतर्गत चलचित्र , नाटक , कठपुतली , टेलीविज़न , एंडरायड मोबाइल फोन , इन्टरनेट पर उपलब्ध सामग्री
आदि को सम्मिलित किया जा सकता है |
सहायक सामग्री का महत्त्व – सहायक सामग्री के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के
आधार पर निरूपित किया जा सकता है –
1-
सहायक सामग्री विषय को स्थायी रूप से सीखने व समझने में
सहायक होती है |
2-
जहां शिक्षक का मौखिक वक्तव्य कम प्रभाव उत्पन्न
करता है वहीं दृश्य सामग्री पाठ को रोचकता प्रदान कर उसे बोधगम्य बनाती है |
3-
यह अनुभवों
के द्वारा ज्ञान प्रदान करती है |
4-
यह शिक्षक
के समय व ऊर्जा की बचत करती है |
5-
यह विचारों
को प्रवाहात्मकता प्रदान करती है |
6-
भाषा संबंधी कठिनाइयों को दूर करती है |
7-
अध्यापन रुचिकर रहने से विद्यार्थी अधिक सक्रिय
रहते हैं |
8-
विद्यार्थी
अनुसंधान व परियोजना में बढ़चढ़ कर हिस्सा
लेते हैं |
9-
वस्तुओं को
प्रत्यक्ष देखने , छूने , महसूस करने का अवसर मिलता है |
10-
विद्यार्थी
प्राकृतिक व कृतिम वस्तुओं के तुलनात्मक भेद को समझ पाते हैं |
सहायक सामग्री के उद्देश्य – सहायक सामग्री का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्य प्राप्ति के
लिए किया जाता है –
1-
विद्यार्थियों
में पाठ के प्रति रुचि जागृत करना |
2-
विद्यार्थियों
के सम्मुख तथ्यात्मक सूचनाओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना |
3-
सीखने की
गति में सुधार करना |
4-
विद्यार्थियों
को अधिक क्रियाशील बनाना |
5-
अभिरुचियों
पर आशानुकूल प्रभाव डालना |
6-
तीव्र एवं
मंद बुद्धि के विद्यार्थियों को योग्यतानुसार शिक्षा देना |
7-
जटिल विषयों
को भी सरस रूप में प्रस्तुत करना |
8-
विद्यार्थी
का ध्यान पाठ की ओर केन्द्रित करना |
9-
अमूर्त
प्रदार्थों को भी मूर्त रूप में प्रस्तुत करना |
10-
विद्यार्थियों
की निरीक्षण शक्ति का विकास करना |
सहायक सामग्री के कार्य – सहायक सामग्री शिक्षण व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग है | इसके इसी महत्त्व को दृष्टि में रखते हुये
सभी शिक्षाशास्त्रियों ने एकमत से इसे स्वीकार किया है | शिक्षण
व्यवस्था में सहायक सामग्री जिन दायित्वों का निर्वहन करती है , वे निम्नलिखित हैं –
1-
प्रेरणा – सहायक सामग्री के माध्यम से सीखे हुये ज्ञान से
विद्यार्थियों में उत्सुकता जागती है और सीखा हुआ ज्ञान उन्हें आगे और सीखने के
लिए प्रेरणा देता है |
2-
क्रिया का
सिद्धान्त – इन सामग्रियों के माध्यम
से विद्यार्थियों को विविध प्रकार की क्रियाओं को करने का अवसर मिलता है | वे खेल-खेल में ही जटिल पाठ्यक्रम को भी
आसानी से सीख लेते हैं |
3-
स्पष्टीकरण – सहायक सामाग्री के प्रयोग से जटिल से जटिल पाठ्यवस्तु को
प्रत्यक्ष देखकर विद्यार्थियों के मन में उठी शंकाओं का समाधान हो जाता है |
4-
अनुभवयुक्त
शिक्षण – कहते हैं रटे हुये ज्ञान
से सीखा हुआ ज्ञान ज्यादा प्रभावशाली होता है और यह लंबे समय तक याद रहता है | इससे विद्यार्थियों के मौखिक चिंतन को भी
प्रोत्साहन मिलता है |
5-
शब्दकोश में
वृद्धि – सहायक सामग्रियाँ
विद्यार्थियों के शब्द भंडार में वृद्धि करती हैं | इसके साथ ही उनका अभिव्यक्ति कौशल भी सुदृढ़ होता है |
6-
शिक्षण में
कुशलता – ये सामग्रियाँ शिक्षक को उसकी अध्यापन प्रक्रिया में काफी मदद करती हैं | शिक्षक अपने विषय को बेहतर ढंग से प्रस्तुत
कर पाता है |
सहायक सामग्री का प्रयोग करते समय ध्यान देने योग्य बातें –
सहायक सामग्री का प्रयोग करते समय शिक्षक
को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
1-
ये
सामग्रियाँ विद्यार्थियों के अनुभव , समझ और आयु के अनुसार होनी चाहिए |
2-
सामग्री
पाठ्यवस्तु से संबन्धित होनी चाहिए |
3-
सामग्री का
चयन करते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि ये विद्यार्थियों की रुचि जागृत करने वाली
हों |
4-
अनावश्यक
सहायक सामग्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए |
5-
सहायक
सामग्री का जितनी देर आवश्यक हो उतनी देर
ही प्रयोग करना चाहिए |
6-
सामग्री यदि
नवाचार से जुड़ी व तकनीक से संबन्धित हो तो प्रयास होना चाहिए कि इस सामग्री का
संचालन सरल हो |
7-
जो सामग्री
प्रयुक्त की जा रही हो उसे सही हालत में होना चाहिए |
8-
उपयोग से
पूर्व शिक्षक को उस सामग्री का एक बार इस्तेमाल करके उसकी जांच एवं अभ्यास कर लेना
चाहिए |
9-
सहायक
सामग्री के प्रभावशाली उपयोग के बारे में समस्त निर्देश सावधानी और ध्यान पूर्वक पहले पढ़ लेना चाहिए |
10-
प्रयोग के
तुरंत बाद सामग्री को विद्यार्थियों के सामने से हटा देना चाहिए | ( संदर्भ : www.tetsuccesskey.com )
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