मेधावी विद्यार्थियों के लिए कार्य-योजना
मेधावी
विद्यार्थी वे हैं जो समान उम्र के अन्य विद्यार्थियों की तुलना में अधिक बौद्धिक , रचनात्मक तथा कलात्मक हैं , जो नेतृत्व की क्षमता रखते हैं तथा शैक्षणिक विषयों में अपने उच्च
प्रदर्शन की क्षमता का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं | अधिकांशतः
हम सपोर्टिव लर्नर या कमजोर विद्यार्थियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए ही कार्य-योजना निर्मित करते हैं और मेधावी
विद्यार्थियों को यह सोचकर उनके हाल पर छोड़ देते हैं कि यह तो अच्छा करेंगे ही | ऐसा सोचना हमारी बहुत बड़ी भूल है
| हमें मेधावी विद्यार्थियों के लिए भी कार्य-योजना निर्मित
करनी चाहिए | सबसे
पहले तो हम यह जान लें कि हमें कुशाग्र विद्यार्थियों के लिए कार्य-योजना क्यों
निर्मित करनी चाहिए |
1-
कुशाग्र
विद्यार्थी अपना काम अन्य विद्यार्थियों की अपेक्षा पहले पूरा कर लेते हैं ऐसी दशा
में वे अपना समय शरारत या दूसरे
विद्यार्थियों के काम में व्यवधान डालने में भी लगा सकते हैं | उनके नकारात्मक गतिविधियों में संलिप्त
होने की संभावना बढ़ सकती है |
2-
कुशाग्र
विद्यार्थियों को उनके बौद्धिक स्तर के अनुरूप खुराक नहीं मिलेगी तो वे पढ़ाई को
बहुत आसान समझने लगेंगे और उनका मन पढ़ाई से उचट जाएगा |
3-
मेधावी
विद्यार्थियों की क्षमताओं का समुचित इस्तेमाल न होने पर धीरे-धीरे उनकी क्षमताओं
का ह्रास होता जाएगा |
4-
मेधावी
विद्यार्थियों को सही प्रेरणा व दिशा मिल जाये तो वे घर , परिवार , विद्यालय , समाज सभी के लिए एक एसेट बन सकते हैं और समाज के विकास में अपना मौलिक
योगदान दे सकते हैं |
मेधावी विद्यार्थियों के लिए बनाई जाने वाली कार्य-योजना के
कुछ सुझाव यहाँ दिये जा रहें हैं | हर विद्यार्थी की अपनी अलग प्रवृत्ति व अलग जरूरतें होतीं हैं अतः
स्थानीय स्तर पर आवश्यकतानुसार इन सुझावों के अतिरिक्त भी कुछ योजनाएँ बनाई जा
सकती है | ये सिर्फ कुछ सामान्य सुझाव हैं –
1-
अध्यापक
द्वारा मेधावी विद्यार्थियों को कठिन व विचारोत्तेजक प्रश्न हल करने के लिए दिये
जाने चाहिए ताकि उनकी क्षमता का अधिकतम उपयोग हो सके |
2-
अध्यापक को
चाहिए कि वे मेधावी विद्यार्थियों को अन्य विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित
करें | अच्छा हो कि अध्यापक मेधावी बच्चों का
कमजोर बच्चों के साथ समूह निर्मित करे | बच्चे अपने समवयस्क
से अधिक सुगमता से सीखते हैं | इसका परिणाम यह होगा कि जहां
कमजोर विद्यार्थी के प्रदर्शन में सुधार आयेगा वहीं पढ़ाने से न केवल मेधावी
विद्यार्थी की नेतृत्व क्षमता , अभिव्यक्ति क्षमता विकसित
होगी , उसके खाली समय का सदुपयोग होगा बल्कि पढ़ाने के कारण
उसका अधिगम पुनर्बलित होकर पुष्ट होगा | उसके पढे का बार-बार
पुनरावर्तन होता जाएगा | और सबसे बड़ी बात अपने सहपाठियों को
पढ़ाने से सहपाठियों से उसके संबंध मधुर व आत्मीय बनेंगे |
3-
मेधावी
विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त संदर्भ पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित
करना चाहिए उन्हें इन संदर्भ पुस्तकों की समीक्षा लिखने , नोट्स बनाने का काम भी दिया जाना चाहिए |
4-
मेधावी
विद्यार्थी जिस कक्षा में हैं उससे अगली कक्षा की पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित
करना चाहिए तथा अगली कक्षा के प्रश्न-पत्रों को हल करने के लिए देना चाहिए इससे न
केवल वे इंगेज रहेंगे बल्कि उनका बौद्धिक विकास होगा |
5-
कक्षा में
होने वाली रचनात्मक गतिविधियों यथा वाद-विवाद , बहस , परिचर्चा व विभिन्न प्रतियोगिताओं में उन्हें
भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए |
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