शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

कला समेकित शिक्षा (Art Integrated Education)

 

कला समेकित शिक्षा

(Art Integrated Education)

कला समेकित शिक्षा शिक्षण-अधिगम (Teaching-Learning) का एक तरीका है जिसमें विभिन्न दृश्य एवं प्रदर्शन कला रूपों का प्रयोग शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में किया जाता है | यह शिक्षण का एक नवीन मॉडल है जो विविध कलाओं को सीखने-सिखाने का माध्यम बनाता है | कलाओं को सीखने-सिखाने का माध्यम बनाने से विषयों की तमाम कठिन अवधारणायेँ सरल हो जाती हैं | इस शिक्षण प्रविधि से गणित , विज्ञान , भाषा , सामाजिक विज्ञान आदि विषयों की बहुत सी अमूर्त अवधारणाओं को मूर्त करके प्रस्तुत करने में कलाओं की सहायता ली जाती है जिससे सीखना विद्यार्थियों के लिए सहज , सरल , मनोरंजक , आनंददायक व अनुभवजन्य हो जाता है | विद्यार्थी सीखे हुये के साथ अपने अनुभव का तादाम्य स्थापित कर पाते हैं और सीखना उनके लिए रुचिकर कार्य हो जाता है | इस शिक्षण मॉडल की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से अवलोकन करने , सोचने , कल्पना करने , खोजने , निर्माण करने व अभिव्यक्त करने में सक्षम हो पाता है |

कला शिक्षा और कला समेकित शिक्षा में अंतर :- कला समेकित शिक्षा पर विचार करने से पहले हमें कला शिक्षा और कला समेकित शिक्षा के अंतर पर विचार कर लेना चाहिए | क्योंकि अक्सर हमारे साथी दोनों को एक ही समझकर भ्रमित होते हैं | कला शिक्षा में विभिन्न कलाओं यथा-मूर्तिकला , नृत्यकला, गायनकला , अभिनयकला , चित्रकला आदि को एक विषय के रूप में पढ़ा जाता है | इन विषयों के अपने सिद्धान्त , अपने पारिभाषिक शब्द , अपनी प्रविधि और प्रक्रिया होती है | एक विषय के रूप में पढ़कर इन कलाओं की सैद्धांतिकी , इतिहास , संरचना आदि के बारे में जानने के साथ-साथ इन कलाओं में व्यावहारिक दक्षता प्राप्त की जा सकती हैं | वहीं कला समेकित शिक्षा का आशय है कि इन कलाओं का स्वतंत्र अध्ययन न करके दूसरे विषयों के पठन-पाठन में इन कलाओं को माध्यम बनाया जाये | इनकी सहायता से दूसरे विषयों के पठन-पाठन को सुगम बनाया जा सके | चूंकि कला समेकित शिक्षा में कलाएं अन्य विषयों के साथ घुल-मिल कर उनकी अवधारणाओं को सरल बनाती हैं इसलिए वे एक तरह से शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के लिए उपकरण (Tool) की तरह प्रयुक्त होती हैं | विभिन्न विषयों के साथ कलाओं को संयोजित करने के लिए अधिक रचनात्मकता व कल्पनाशीलता की आवश्यकता होती है |

कला समेकित शिक्षा का महत्त्व :- कला समेकित की उपयोगिता को इस प्रकार समझा जा सकता है कि इससे विद्यार्थी की संज्ञानात्मक (सोच, स्मरण और चिंतन) , संवेदनात्मक (सामाजिक व भावनात्मक) तथा मनोगत क्षमताओं का विकास होता है | आइये इसके महत्त्व को जानने का प्रयास करते हैं

1-  यदि शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में कलाओं का प्रयोग किया जाता है तो इससे सामान्य विद्यार्थी तो लाभान्वित होते ही हैं साथ ही सपोर्टिव लर्नर को विशेष लाभ मिलता है | मानसिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए अधिगम आसान हो जाता है जिससे उनका स्तर बढ़ता है | जिन अवधारणाओं को समझने में पहले उन्हें कठिनाई होती थी उसे वे सहजता से समझ सकने में सक्षम हो जाते हैं |

2-  विशिष्ट / वंचित या शारीरिक रूप से बाधित विद्यार्थी भी कला समेकित मॉडल से लाभान्वित होते हैं | ऐसे विद्यार्थियों की शारीरिक सीमाएं उनके सीखने में अवरोधक बनती हैं | कलाओं के माध्यम से सीखना उनके लिए सीखने के अन्यान्य विकल्प उपलब्ध कराता है | कलाएं उनके लिए सहायक की भूमिका में आ जाती हैं और वे आसानी से सीखते हैं | इस तरह यह शिक्षा के समावेशी ढांचे में भी सहायक है |

3-  कला समेकित शिक्षा से सृजनात्मकता का विकास होता है | विभिन्न अवधारणाओं को सपाट तरीके से पढ़ाने के बजाए जब शिक्षक उन्हीं अवधारणाओं को कलात्मक परियोजनाओं , मॉडल आदि के माध्यम से प्रस्तुत करता है तो उसकी सृजनात्मकता का विकास होता है | इसी प्रकार कलात्मक माध्यमों से सीखने पर विद्यार्थी की सृजनात्मकता का भी विकास होता है | किसी अवधारणा को किसी विशेष कला रूप में ढालने के लिए विद्यार्थी को कई तरह से सृजनात्मक प्रदर्शन करना पड़ता है |

4-  कला समेकित शिक्षा से विद्यार्थियों का मानसिक विकास होता है | विभिन्न कलात्मक गतिविधियों के माध्यम से सीखने के कारण उनकी कल्पना शक्ति व चिंतन शक्ति का विकास होता है | रटंत पद्धति के बजाए कला समेकित शिक्षा विद्यार्थियों को करके सीखने के लिए प्रेरित करती है | कलात्मक प्रस्तुति का उत्साह उन्हें नए-नए तरीके से अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए सोचने पर विवश करता है जिससे उनका मानसिक विकास होता है |

5-  कला समेकित शिक्षण-प्रक्रिया अपनाने का एक लाभ यह भी है कि इससे शिक्षण अध्यापक केन्द्रित नहीं रह जाता | चूंकि शिक्षण में कलाओं के सम्मिलन से विद्यार्थी की पढ़ने में रुचि जागृत हो जाती है , तथा पूरी अधिगम प्रक्रिया उसके लिए आनंददायक हो जाती है , अतः अधिगम प्रक्रिया में उसकी भागीदारी बढ़ जाती है |

6-  कला समेकित शिक्षा विद्यार्थी की शैक्षिक उपलब्धियों में सुधार करती है | जब विद्यार्थी को अवधारणायेँ सहजता से समझ आएंगी , अधिगम प्रक्रिया में उसकी रुचि बढ़ेगी तो स्वाभाविक रूप से उसकी शैक्षिक उपलब्धियों में सुधार आयेगा |

7-  कला समेकित शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों की विशिष्ट प्रतिभा को पहचानने में मदद मिलती है | प्रत्येक विद्यार्थी में कुछ न कुछ ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा होती है , जैसे किसी विद्यार्थी में गायन प्रतिभा है तो कोई  विद्यार्थी अभिनय में अच्छा है | इस तरह अलग-अलग विद्यार्थी की प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रोत्साहित करने का अवसर भी कला समेकित शिक्षा प्रदान करती है |

विविध विषयों में कला समेकित शिक्षा के कुछ उदाहरण:-यहाँ कला समेकित शिक्षा को हम कुछ विषयों में इसके अनुप्रयोग के उदाहरण से समझने का प्रयास करेंगे | कला समेकित शिक्षा में नवाचार और रचनात्मकता की अपरमित संभावनाएं हैं | प्रत्येक अध्यापक चिंतन , रचनात्मकता व कल्पना शक्ति के बदौलत अपने शिक्षण में कलाओं का बहुआयामी व वैविध्यपूर्ण प्रयोग कर सकता है | यही बात विद्यार्थियों पर भी लागू होती है | अतः यहाँ पर दिये गए उदाहरण सिर्फ़ सुझावात्मक हैं-

1-  गणित विषय में गिनती , माप और आकार का सर्वाधिक महत्त्व है | गणित विषय विभिन्न वस्तुओं के बीच सम्बन्धों को समझने में मदद करता है | कला समेकित शिक्षा विद्यार्थियों को लंबाई , चौड़ाई , ऊंचाई , क्षेत्रफल आदि को अनुभव कराने में सहायक है | कला समेकित शिक्षा उन्हें सम-असम , द्विआयामी , त्रिआयामी आकृतियों को पहचानने और बनाने में मददगार साबित होती है इसके अलावा वे सीमा , दिशा , आवर्तन आदि की तमाम अवधारणाओं को स्पष्टयः समझ पाते हैं | गणित विषय में कला समेकित गतिविधि का एक उदाहरण यह है कि-  *सभी विद्यार्थियों के द्वारा पतंग बनवाई जाये |

*विद्यार्थी पतंगों को विविध रंगों से सजाएँ और उसे कोलाज का रूप दें |

*विद्यार्थियों से कहा जाये कि वे बनाई गई पतंगों की लंबाई , चौड़ाई तथा विकर्ण आदि की माप लें |

*उपलब्ध माप के आधार पर विद्यार्थियों को पतंग के क्षेत्रफल , परिमाप आदि पता लगाने का कार्य दिया जाये |

*ज्ञात किए गए तथ्यों के आधार पर बनाये गये एक पतंग की दूसरे  पतंग के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए कहा जाये |

जैसा कि पहले बताया गया है यहाँ बताई गतिविधि सिर्फ सुझाव और नमूने के तौर पर है | विषय की आवश्यकतानुरूप अपनी रचनात्मकता और कल्पना शक्ति के सहारे शिक्षक नई-नई कला समेकित गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं | गणित विषय में ही छोटी कक्षाओं के लिए एक अन्य गतिविधि का उदाहरण देखें –

*ज्यामितीय आकारों से मिलती-जुलती प्राकृतिक व मानव निर्मित वस्तुओं को पहचानने व उनकी सूची बनाने का कार्य विद्यार्थियों को दिया जा सकता है |

*सूची में वर्णित वस्तुओं का चित्र बनाकर उनके सम्मुख उससे मिलते ज्यामितीय आकार को बनाने के लिए कहा जाये |

इस तरह इस गतिविधि से विद्यार्थी न केवल ज्यामितीय आकारों को भली-भांति समझ जाएगा बल्कि यह उसके स्मृति पटल पर मजबूती से अंकित हो जाएगा |

2-  सुनना , बोलना , पढ़ना , लिखना तथा सृजनात्मक अभिव्यक्ति आदि भाषा शिक्षण के मुख्य उद्देश्य हैं | भाषा व साहित्य विद्यार्थी की कल्पनाशीलता व संवेदनशीलता में वृद्धि करते हैं | कला समेकित शिक्षा विद्यार्थियों में इन दक्षताओं के विकास में सहायक सिद्ध होती है | कलाओं के माध्यम से भाषा शिक्षण के लिए निम्नलिखित गतिविधियाँ आयोजित की जा सकती हैं –

*पाठ्यक्रम में आए नाटक या एकाँकी का मंचन कराया जा सकता है | नाटक या एकाँकी में आए पात्रों के अभिनय का दायित्व विद्यार्थियों में बांटकर उन्हें अभिनय से संबन्धित आवश्यक निर्देश व प्रशिक्षण देना चाहिए | कक्षा में , विद्यालय के सभी विद्यार्थियों के सम्मुख प्रार्थना सभा में या फिर किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में इस नाटक या एकाँकी का मंचन करना चाहिए | पढ़ने के बजाए मंचन करने से विद्यार्थी उक्त नाटक या एकाँकी की मूल संवेदना को अधिक गहराई से महसूस कर पाएंगे |

*पाठ्यचर्या में आई हुई कविता का संगीतबद्ध गायन विद्यार्थियों से करवाया जा सकता है | कविता का स्वरबद्ध गायन करने से विद्यार्थी कविता के साथ रागात्मक जुड़ाव महसूस करेंगे , कविता उन्हें आसानी से कंठस्थ होगी साथ ही वे कविता के भाव को आसानी से समझने में सक्षम होने |

*चित्र दिखाकर विद्यार्थियों से उस चित्र पर आधारित कविता या कहानी लेखन करवाया जा सकता है| इससे विद्यार्थी की लेखन कला का विकास तो होगा ही उसकी कल्पनाशीलता व तर्कशक्ति में भी वृद्धि होगी |  

  

 

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