कला
समेकित शिक्षा
(Art
Integrated Education)
कला समेकित शिक्षा शिक्षण-अधिगम (Teaching-Learning) का एक तरीका है जिसमें विभिन्न
दृश्य एवं प्रदर्शन कला रूपों का प्रयोग शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में किया जाता है | यह शिक्षण का एक नवीन मॉडल है जो
विविध कलाओं को सीखने-सिखाने का माध्यम बनाता है | कलाओं को सीखने-सिखाने का माध्यम
बनाने से विषयों की तमाम कठिन अवधारणायेँ सरल हो जाती हैं | इस शिक्षण प्रविधि से गणित , विज्ञान , भाषा , सामाजिक विज्ञान आदि विषयों की
बहुत सी अमूर्त अवधारणाओं को मूर्त करके प्रस्तुत करने में कलाओं की सहायता ली
जाती है जिससे सीखना विद्यार्थियों के लिए सहज , सरल , मनोरंजक , आनंददायक व अनुभवजन्य हो जाता है | विद्यार्थी सीखे हुये के साथ अपने
अनुभव का तादाम्य स्थापित कर पाते हैं और सीखना उनके लिए रुचिकर कार्य हो जाता है | इस शिक्षण मॉडल की सबसे
महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से अवलोकन करने , सोचने , कल्पना करने , खोजने , निर्माण करने व अभिव्यक्त करने
में सक्षम हो पाता है |
कला शिक्षा और कला समेकित शिक्षा
में अंतर :- कला
समेकित शिक्षा पर विचार करने से पहले हमें कला शिक्षा और कला
समेकित शिक्षा के अंतर पर विचार कर लेना चाहिए | क्योंकि अक्सर हमारे साथी दोनों
को एक ही समझकर भ्रमित होते हैं | कला शिक्षा में विभिन्न कलाओं यथा-मूर्तिकला , नृत्यकला, गायनकला , अभिनयकला , चित्रकला आदि को एक विषय के रूप
में पढ़ा जाता है | इन विषयों के
अपने सिद्धान्त , अपने पारिभाषिक
शब्द , अपनी प्रविधि और प्रक्रिया होती
है | एक विषय के रूप में पढ़कर इन कलाओं
की सैद्धांतिकी , इतिहास , संरचना आदि के बारे में जानने के
साथ-साथ इन कलाओं में व्यावहारिक दक्षता प्राप्त की जा सकती हैं | वहीं कला समेकित शिक्षा का आशय है
कि इन कलाओं का स्वतंत्र अध्ययन न करके दूसरे विषयों के पठन-पाठन में इन कलाओं को
माध्यम बनाया जाये | इनकी सहायता से
दूसरे विषयों के पठन-पाठन को सुगम बनाया जा सके | चूंकि कला समेकित शिक्षा में
कलाएं अन्य विषयों के साथ घुल-मिल कर उनकी अवधारणाओं को सरल बनाती हैं इसलिए वे एक
तरह से शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के लिए उपकरण (Tool) की तरह प्रयुक्त होती हैं | विभिन्न विषयों के साथ कलाओं को
संयोजित करने के लिए अधिक रचनात्मकता व कल्पनाशीलता की आवश्यकता होती है |
कला समेकित शिक्षा का महत्त्व :- कला समेकित की उपयोगिता को इस
प्रकार समझा जा सकता है कि इससे विद्यार्थी की संज्ञानात्मक (सोच, स्मरण और चिंतन) , संवेदनात्मक (सामाजिक व
भावनात्मक) तथा मनोगत क्षमताओं का विकास होता है | आइये इसके महत्त्व को जानने का
प्रयास करते हैं –
1- यदि शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में
कलाओं का प्रयोग किया जाता है तो इससे सामान्य विद्यार्थी तो लाभान्वित होते ही
हैं साथ ही सपोर्टिव लर्नर को विशेष लाभ मिलता है | मानसिक रूप से कमजोर
विद्यार्थियों के लिए अधिगम आसान हो जाता है जिससे उनका स्तर बढ़ता है | जिन अवधारणाओं को समझने में पहले
उन्हें कठिनाई होती थी उसे वे सहजता से समझ सकने में सक्षम हो जाते हैं |
2- विशिष्ट / वंचित या शारीरिक रूप से
बाधित विद्यार्थी भी कला समेकित मॉडल से लाभान्वित होते हैं | ऐसे विद्यार्थियों की शारीरिक
सीमाएं उनके सीखने में अवरोधक बनती हैं | कलाओं के माध्यम से सीखना उनके लिए सीखने के अन्यान्य विकल्प उपलब्ध कराता है
| कलाएं उनके लिए सहायक की भूमिका
में आ जाती हैं और वे आसानी से सीखते हैं | इस तरह यह शिक्षा के समावेशी
ढांचे में भी सहायक है |
3- कला समेकित शिक्षा से सृजनात्मकता
का विकास होता है | विभिन्न
अवधारणाओं को सपाट तरीके से पढ़ाने के बजाए जब शिक्षक उन्हीं अवधारणाओं को कलात्मक
परियोजनाओं , मॉडल आदि के माध्यम से प्रस्तुत
करता है तो उसकी सृजनात्मकता का विकास होता है | इसी प्रकार कलात्मक माध्यमों से
सीखने पर विद्यार्थी की सृजनात्मकता का भी विकास होता है | किसी अवधारणा को किसी विशेष कला
रूप में ढालने के लिए विद्यार्थी को कई तरह से सृजनात्मक प्रदर्शन करना पड़ता है |
4- कला समेकित शिक्षा से
विद्यार्थियों का मानसिक विकास होता है | विभिन्न कलात्मक गतिविधियों के माध्यम से सीखने के कारण उनकी कल्पना शक्ति व
चिंतन शक्ति का विकास होता है | रटंत पद्धति के बजाए कला समेकित शिक्षा विद्यार्थियों को करके सीखने के लिए
प्रेरित करती है | कलात्मक
प्रस्तुति का उत्साह उन्हें नए-नए तरीके से अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए सोचने
पर विवश करता है जिससे उनका मानसिक विकास होता है |
5- कला समेकित शिक्षण-प्रक्रिया
अपनाने का एक लाभ यह भी है कि इससे शिक्षण अध्यापक केन्द्रित नहीं रह जाता | चूंकि शिक्षण में कलाओं के
सम्मिलन से विद्यार्थी की पढ़ने में रुचि जागृत हो जाती है , तथा पूरी अधिगम प्रक्रिया उसके
लिए आनंददायक हो जाती है , अतः अधिगम प्रक्रिया में उसकी भागीदारी बढ़ जाती है |
6- कला समेकित शिक्षा विद्यार्थी की
शैक्षिक उपलब्धियों में सुधार करती है | जब विद्यार्थी को अवधारणायेँ सहजता से समझ आएंगी , अधिगम प्रक्रिया में उसकी रुचि
बढ़ेगी तो स्वाभाविक रूप से उसकी शैक्षिक उपलब्धियों में सुधार आयेगा |
7- कला समेकित शिक्षा के माध्यम से
विद्यार्थियों की विशिष्ट प्रतिभा को पहचानने में मदद मिलती है | प्रत्येक विद्यार्थी में कुछ न
कुछ ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा होती है , जैसे किसी विद्यार्थी में गायन प्रतिभा है तो कोई विद्यार्थी अभिनय में अच्छा है | इस तरह अलग-अलग विद्यार्थी की
प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रोत्साहित करने का अवसर भी कला समेकित शिक्षा प्रदान
करती है |
विविध विषयों में कला समेकित
शिक्षा के कुछ उदाहरण:-यहाँ कला समेकित शिक्षा को हम कुछ विषयों में इसके
अनुप्रयोग के उदाहरण से समझने का प्रयास करेंगे | कला समेकित शिक्षा में नवाचार और
रचनात्मकता की अपरमित संभावनाएं हैं | प्रत्येक अध्यापक चिंतन , रचनात्मकता व कल्पना शक्ति के बदौलत अपने शिक्षण में कलाओं का बहुआयामी व
वैविध्यपूर्ण प्रयोग कर सकता है | यही बात विद्यार्थियों पर भी लागू होती है | अतः यहाँ पर दिये गए उदाहरण सिर्फ़
सुझावात्मक हैं-
1- गणित विषय में गिनती , माप और आकार का सर्वाधिक महत्त्व
है | गणित विषय विभिन्न वस्तुओं के बीच
सम्बन्धों को समझने में मदद करता है | कला समेकित शिक्षा विद्यार्थियों को लंबाई , चौड़ाई , ऊंचाई , क्षेत्रफल आदि को अनुभव कराने में
सहायक है | कला समेकित शिक्षा उन्हें सम-असम , द्विआयामी , त्रिआयामी आकृतियों को पहचानने और
बनाने में मददगार साबित होती है इसके अलावा वे सीमा , दिशा , आवर्तन आदि की तमाम अवधारणाओं को
स्पष्टयः समझ पाते हैं | गणित विषय में कला समेकित गतिविधि का एक उदाहरण यह है कि- *सभी विद्यार्थियों के द्वारा पतंग बनवाई जाये |
*विद्यार्थी पतंगों को विविध रंगों
से सजाएँ और उसे कोलाज का रूप दें |
*विद्यार्थियों से कहा जाये कि वे
बनाई गई पतंगों की लंबाई , चौड़ाई तथा विकर्ण आदि की माप लें |
*उपलब्ध माप के आधार पर
विद्यार्थियों को पतंग के क्षेत्रफल , परिमाप आदि पता लगाने का कार्य दिया जाये |
*ज्ञात किए गए तथ्यों के आधार पर बनाये
गये एक पतंग की दूसरे पतंग के साथ
तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए कहा जाये |
जैसा कि पहले बताया गया है यहाँ बताई
गतिविधि सिर्फ सुझाव और नमूने के तौर पर है | विषय की आवश्यकतानुरूप अपनी
रचनात्मकता और कल्पना शक्ति के सहारे शिक्षक नई-नई कला समेकित गतिविधियों का सहारा
ले सकते हैं | गणित विषय में ही छोटी कक्षाओं के
लिए एक अन्य गतिविधि का उदाहरण देखें –
*ज्यामितीय आकारों से मिलती-जुलती
प्राकृतिक व मानव निर्मित वस्तुओं को पहचानने व उनकी सूची बनाने का कार्य
विद्यार्थियों को दिया जा सकता है |
*सूची में वर्णित वस्तुओं का चित्र
बनाकर उनके सम्मुख उससे मिलते ज्यामितीय आकार को बनाने के लिए कहा जाये |
इस तरह इस गतिविधि से विद्यार्थी न
केवल ज्यामितीय आकारों को भली-भांति समझ जाएगा बल्कि यह उसके स्मृति पटल पर मजबूती
से अंकित हो जाएगा |
2- सुनना , बोलना , पढ़ना , लिखना तथा सृजनात्मक अभिव्यक्ति
आदि भाषा शिक्षण के मुख्य उद्देश्य हैं | भाषा व साहित्य विद्यार्थी की कल्पनाशीलता व संवेदनशीलता में वृद्धि करते हैं
| कला समेकित शिक्षा विद्यार्थियों
में इन दक्षताओं के विकास में सहायक सिद्ध होती है | कलाओं के माध्यम से भाषा शिक्षण के
लिए निम्नलिखित गतिविधियाँ आयोजित की जा सकती हैं –
*पाठ्यक्रम में आए नाटक या एकाँकी
का मंचन कराया जा सकता है | नाटक या एकाँकी में आए पात्रों के अभिनय का दायित्व विद्यार्थियों में बांटकर
उन्हें अभिनय से संबन्धित आवश्यक निर्देश व प्रशिक्षण देना चाहिए | कक्षा में , विद्यालय के सभी विद्यार्थियों के
सम्मुख प्रार्थना सभा में या फिर किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में इस नाटक या एकाँकी
का मंचन करना चाहिए | पढ़ने के बजाए
मंचन करने से विद्यार्थी उक्त नाटक या एकाँकी की मूल संवेदना को अधिक गहराई से
महसूस कर पाएंगे |
*पाठ्यचर्या में आई हुई कविता का
संगीतबद्ध गायन विद्यार्थियों से करवाया जा सकता है | कविता का स्वरबद्ध गायन करने से
विद्यार्थी कविता के साथ रागात्मक जुड़ाव महसूस करेंगे , कविता उन्हें आसानी से कंठस्थ
होगी साथ ही वे कविता के भाव को आसानी से समझने में सक्षम होने |
*चित्र दिखाकर विद्यार्थियों से उस
चित्र पर आधारित कविता या कहानी लेखन करवाया जा सकता है| इससे विद्यार्थी की लेखन कला का
विकास तो होगा ही उसकी कल्पनाशीलता व तर्कशक्ति में भी वृद्धि होगी |
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