शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

उत्तर-कुंजी/अंक–योजना व ब्लूप्रिंट

 

उत्तर-कुंजी/अंक–योजना व ब्लूप्रिंट

उत्तर-कुंजी/अंक-योजना :- उत्तर-कुंजी/अंक-योजना से आशय प्रश्नपत्र में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर-बिन्दुओं और और उन बिन्दुओं के आधार पर अंक विभाजन का पूर्व निर्धारण है | अंक-योजना में प्रश्नों के संभावित उत्तर अंकित किये  जाते है | एक उत्तर को विभिन्न मान-बिन्दुओं (Key Point) में विभाजित किया जाता है तथा उस प्रश्न के कुल अंक में से प्रत्येक मान-बिन्दु के लिए अंक निर्धारित किया जाता है | वस्तुतः यह मूल्यांकन मानदंडों की पहचान करता है |

उत्तर-कुंजी/अंक-योजना का महत्त्व :- मूल्यांकन को सरल , निष्पक्ष व त्रुटिहीन बनाने के लिए प्रश्नपत्र की उत्तर-कुंजी/अंक-योजना निर्मित की जाती है | आइये  इसके महत्त्व को जानने का प्रयास करते हैं-

1-  इसके निर्माण से अध्यापक को मूल्यांकन करने में आसानी होती है | प्रत्येक उत्तर के सभी अपेक्षित बिन्दु पहले से उपलब्ध होने के कारण बार-बार संदर्भ देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती |

2-  विद्यार्थियों से जिस आदर्श उत्तर की अपेक्षा की जाती है उसके लिए उत्तर-कुंजी/अंक-योजना शिक्षकों को मार्गदर्शन प्रदान करती है |

3-  उत्तर-कुंजी/अंक-योजना के रूप में चूंकि अध्यापक के पास प्रश्नपत्र के अपेक्षित उत्तर पहले उपलब्ध रहते हैं इसलिए मूल्यांकन में वस्तुनिष्ठता आती है | इससे मूल्यांकन निजी व्याख्या के आधार पर न होकर उत्तर-कुंजी में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर होता है |

4-  उत्तर-कुंजी/अंक-योजना से मूल्यांकन में त्रुटियाँ होने की संभावना बिलकुल कम हो जाती है |

5-  उत्तर-कुंजी/अंक-योजना मूल्यांकन को निष्पक्ष और तर्कसंगत बनाती है |

6-  उत्तर-कुंजी/अंक-योजना मूल्यांकन कार्य में लगने वाले समय की बचत करती है |

उत्तर-कुंजी/अंक-योजना के निर्माण में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें-

1-  इसका निर्माण प्रश्नपत्र के साथ ही कर लेना चाहिए |

2-  प्रश्नों का पूरा उत्तर लिखने के बजाए केवल मान-बिन्दु (Key Point) ही लिखा जाना चाहिए |

3-  प्रत्येक प्रश्न , उपप्रश्न तथा मान-बिन्दु के लिए निर्धारित अंक को स्पष्ट लिखना चाहिए |

4-  उत्तर-कुंजी/अंक-योजना के साथ मूल्यांकन से संबन्धित सभी आवश्यक निर्देश भी लिखना चाहिए |

5-  निबंधात्मक उत्तर के सभी चरणों के लिए अलग-अलग अंक निर्धारित कर उनका स्पष्ट वर्णन करना चाहिए |

उत्तर-कुंजी/अंक-योजना का प्रतिदर्श प्रारूप :- पिछले अध्याय में शिक्षक साथियों की सुविधा के लिए प्रतिदर्श प्रश्नपत्र दिया गया है | उसी प्रश्नपत्र की प्रतिदर्श उत्तर-कुंजी/अंक-योजना यहाँ प्रस्तुत की जा रही है | यह प्रारूप आप सबका मार्गदर्शन करने के लिए है किन्तु पूरी तरह स्थायी नहीं है | शिक्षक साथी अपनी विषयगत आवश्यकताओं के अनुरूप इसमें फेरबदल/सुधार कर सकते हैं | यहाँ इस उत्तर-कुंजी/अंक-योजना को सिर्फ प्रारूप की समझ के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है

 

 

 

 

 

 

प्रतिदर्श प्रश्नपत्र

सीखने के प्रतिफल के साथ उत्तर-कुंजी व अंक-योजना

(Scheme with Learning Outcome and Answer Key)

विषयहिंदीकोर्स - (085)

समयतीन घंटे                                                      कुल अंक – 80

·         इस अंक योजना का उद्देश्य मूल्यांकन को अधिकाधिक वस्तुनिष्ठ बनाना है।

·         इस प्रश्नपत्र में  वस्तुपरक एवं वर्णात्मक प्रश्न हैं। अतः अंकयोजना में दिए गए वर्णात्मक प्रश्नों के उत्तर-बिंदु अंतिम नहीं हैं। वे सुझावात्मक और सांकेतिक हैं।

·         यदि परीक्षार्थी इन संकेत बिंदुओं से भिन्न, किंतु उपयुक्त उत्तर दें, तो उन्हें अंक दिए जाएं।

·         समान त्रुटियों के लिए स्थान-स्थान पर अंक न काटे जाएं ।

·         गुणवत्तापूर्ण और सटीक उत्तर पर शत-प्रतिशत अंक देने में किसी प्रकार का संकोच न किया जाए।

·         मूल्यांकन में 0 से 100 प्रतिशत अंकों का पैमाना स्वीकार्य है ।

·         मूल्यांकन कार्य निजी व्याख्या के अनुसार नहीं , बल्कि अंकयोजना के निर्देशानुसार ही किया जाय।

·         मानवीय भूल वश यदि इस अंकयोजना में कोई उत्तर गलत लिख गया हो तो परीक्षक उसे अनदेखा करते हुए सही उत्तर के अनुरूप मूल्यांकन करें ।

·         विकल्प वाले प्रश्नों में सभी विकल्पों के उत्तर/ संकेत बिंदु इस अंक योजना में दिए गए हैं।

 

 

 

 

 

                                               

 

 

खंड-‘’ (वस्तुपरक प्रश्न)

 

प्रश्नसंख्या

उत्तरकुंजी

निर्धारित अंक

सीखने के प्रतिफल

1

1

()-नारी की

1

L.O. – 5 , 11

2

()-पत्नी के

1

L.O. – 5 , 11

3

()-उपर्युक्त तीनों

1

L.O. – 5 , 11

4

()-बलिदानी

1

L.O. – 5 , 11

5

()-सुखी वैवाहिक जीवन का आधार

1

L.O. – 5 , 11

2

1

()-दो

1

L.O. – 5 , 11

2

()-उपर्युक्त सभी

1

L.O. – 5 , 11

3

()-सगुण ब्रह्म

1

L.O. – 5 , 11

4

()-हिन्दू मुसलमान का भेद भुलाकर एक करने में

1

L.O. – 5 , 11

5

()-सामाजिक दृष्टि से

1

L.O. – 5 , 11

3

1

()-क्रिया पदबंध

1

L.O. – 12

2

()-निर्भीक और साहसी

1

L.O. – 12

3

()-संज्ञा पदबंध

1

L.O. – 12

4

()-नेक ईमानदार और परिश्रमी

1

L.O. – 12

5

()-क्रिया विशेषण पदबंध

1

L.O. – 12

4

1

()-तत्पुरुष समास

1

L.O. – 12

2

()-चंद्रमा के समान मुख वाली

1

L.O. – 12

3

()-सत्य के लिए आग्रह

1

L.O. – 12

4

()- नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव

1

L.O. – 12

5

()-(i) और (ii)

1

L.O. – 12

5

1

()-पुलिस को देखते ही चोर डरकर कांपने लगा

1

L.O. – 12

2

()-मिश्रित वाक्य

1

L.O. – 12

3

()-राकेश लखनऊ जाएगा और वहाँ पढ़ाई करेगा।

1

L.O. – 12

4

()-संज्ञा उपवाक्य

1

L.O. – 12

5

()-मिश्रित वाक्य

1

L.O. – 12

6

1

()-अक्ल का दुश्मन

1

L.O. – 12

2

()-क्रोधित होना

1

L.O. – 12

3

()-आटे दाल की फिक्र होनाजीविका की चिंता होना।

1

L.O. – 12

4

()-एक पंथ दो काज

1

L.O. – 12

5

()-कोल्हू का बैल

1

L.O. – 12

6

()-विपत्ति आना

1

L.O. – 12

7

1

()-परोपकारी व्यक्तियों को

1

L.O. – 12 , 13

2

()-आत्मीयता का भाव

1

L.O. – 12 , 13

3

()-जो दूसरे मनुष्य के लिए मरता हो

1

L.O. – 12 , 13

4

()-कृत+ अर्थ

1

L.O. – 14

5

()-यशगान होना

1

L.O. – 12 , 13

8

1

()-रावण

1

L.O. – 13 , 14

2

()-बुद्धि का विकास

1

L.O. – 13 , 14

3

()-कई राष्ट्रों ने अंग्रेजों का आधिपत्य स्वीकार नहीं किया था।

1

L.O. – 13 , 14

4

()-अभिमान

1

L.O. – 13 , 14

5

()-मन में अहंकार रखना

1

L.O. – 13 , 14

9

1

()-उसके चर्चित एवं साहसिक कारनामों के कारण

1

L.O. – 13 , 14

2

()-(i) और (ii)

1

L.O. – 13 , 14

10

1

()-अपने विशाल आकार को

1

L.O. – 13 , 14

2

()-उदार व्यक्ति की

1

L.O. –13 , 14

 

खंड-’ (वर्णात्मक प्रश्न )

 

11

*ताँतारा बामीरो की कथा

*रूढ़ियों का बंधन बोझ बन जाता है।

*ताँतारा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से परिवर्तन

*विद्यार्थी अपने मतानुसार लिखेंगे।

3

L.O. – 01 , 07

*कथन से सहमति

*कविता जैसी अनुभूति

*कवि शैलेन्द्र की कोमल भावनाओ की प्रस्तुति

*संवेदनशील और भावनात्मक अनुभूति से ओत-प्रोत

3

L.O. – 01 , 07

 

*क्योंकि इससे पहले कलकत्ता में इतने बड़े स्तर पर जुलूस नहीं निकाला गया था।

*सरकार को खुली चुनौती

*बड़ी संख्या में स्त्रियों ने भाग लिया।

*बड़ी संख्या में स्त्रियों द्वारा गिरफ्तारी दी गई।

 

3

L.O. – 01 , 07

12

*पर्वत प्रदेश में पावससुमित्रानंदन पंत

*बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत हो रहे हैं।

*पर्वत पर असंख्य फूल खिल जाते हैं।

*ऊंचे वृक्ष आकाश की ओर देखते हैं।

*बादलों के छा जाने से पर्वत अदृश्य हो जाता है।

*ताल से उड़ते हुए धुएं को देखकर लगता है मानो आग लग गई।

 

3

L.O. – 01 , 07

*जो दूसरों के काम आए।

*स्वार्थ को त्यागकर परहित में जिये।

*सेवा, त्याग और बलिदान का जीवन हो।

3

L.O. – 01 , 07

*उद्देश्य को पाने के लिए दृष्टि स्थिर करनी चाहिए।

*चुपचाप मौन रहकर लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए

*आकांक्षाओं को पाने के लिए शांत मन और एकाग्रता आवश्यक है।

3

L.O. – 01 , 07

13

*शरीर से दुबले-पतले ठिगने कद के थे।

*बहुत अनुशासन प्रिय थे। कहना न मानने पर विद्यार्थियों को दंड देते थे।

*कठोर स्वभाव के थे। मन में दयाभाव न था।

*पीटी, स्काउटिंग परेड के साथ-साथ फारसी पढ़ाते थे।

3

L.O. – 01 , 07

*गांव वाले दो पक्षो में बंटे थे।

*कुछ लोग महंत के पक्ष में थे कि हरिहर काका अपनी जमीन धर्म के नाम पर ठाकुरबाड़ी को दे दें।

*कुछ प्रगतिशील विचार के लोग चाहते थे कि हरिहर काका अपनी जमीन परिवार वालों को दे दें।

*हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था।

3

L.O. – 01 , 07

*मीडिया के हस्तक्षेप से दुखी व एकाकी जीवन न बिताना पड़ता।

*अपने ऊपर हुए अत्याचार को दुनिया के सामने ला पाते।

*उनके कारण कई और लोग जागृत होते।

*महंत और भाइयों का पर्दाफाश होता, उन्हें जेल होती।

स्वतंत्र व भय मुक्त जीवन जी पाते।

3

L.O. – 01 , 07,15

14

विषयवस्तु-3 अंक

भाषा– 1 अंक

प्रस्तुति– 2 अंक

5

L.O. – 15, 18

विषयवस्तु-3 अंक

भाषा– 1 अंक

प्रस्तुति– 2 अंक

5

L.O. – 15, 18

विषयवस्तु-3 अंक

भाषा– 1 अंक

प्रस्तुति– 2 अंक

5

L.O. – 15, 18

15

 

आरम्भ व अंत की औपचारिकताएं – 1 अंक

विषयवस्तु– 2 अंक

भाषा– 1 अंक

प्रस्तुति– 1 अंक

5

L.O. – 09

16

 

विषयवस्तु – 2 अंक

भाषा- 1 अंक

प्रस्तुति – 1 अंक

4

 

17

 

विषयवस्तु- 1अंक

प्रस्तुति– 1 अंक

भाषा– 1 अंक

3

L.O. – 07 , 10

18

(i)

प्रारम्भ-1 अंक

विषयवस्तु-2 अंक

भाषा-1 अंक

समापन – 1 अंक

5

 

(ii)

आरम्भ व अंत की औपचारिकताएं – 1 अंक

विषयवस्तु– 2 अंक

भाषा– 1 अंक

प्रस्तुति– 1 अंक

5

 

 

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

 

ब्लू प्रिंट :- जिस प्रकार एक सीमित समय में किसी काम को सही ढंग से करने के लिए उस काम की रूपरेखा या नक्शा पहले ही तैयार कर लिया जाता है फिर उसी रूपरेखा का चरणबद्ध तरीके से अनुसरण करके काम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाता है उसी प्रकार ब्लूप्रिंट को भी प्रश्नपत्र का ढांचा या रूपरेखा कहा जा सकता है जिसके आधार पर एक आदर्श प्रश्नपत्र का निर्माण किया जाता है | ब्लूप्रिंट में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम , अंक-विभाजन तथा सभी तरह के प्रश्नों यथा-वस्तुनिष्ठ , लघुउत्तरीय , दीर्घ उत्तरीय आदि का समावेश किया जाता है | ब्लूप्रिंट में अंकों के आधार पर प्रश्नों के स्वरूप का निर्णय किया जाता है | अलग-अलग उद्देश्यों के लिए प्रश्नों की संख्या तथा उनके अंक भार का निर्णय भी ब्लूप्रिंट में कर लिया जाता है | वस्तुतः ब्लू प्रिंट तैयार कर लेने से मूल्यांकन के सभी आयामों को शामिल करते हुए प्रश्नपत्र बनाना बहुत सुगम हो जाता है |

ब्लूप्रिंट कई तरह से निर्मित किया जाता है | अधिगम उद्देश्यों के आधार पर , विषयवस्तु के आधार पर , प्रश्नों के प्रकार के आधार पर व परीक्षा के आधार पर ब्लूप्रिंट निर्मित किया जाता है | मुख्यतः परीक्षाओं के आधार पर प्रश्नपत्र का ब्लूप्रिंट निर्मित किया जाता है जिसमें अन्य सभी प्रकार के ब्लूप्रिंट के तत्व भी समाहित होते हैं | पिछले अध्याय में दिए गए प्रश्नपत्र का ब्लूप्रिंट यहाँ प्रारूप के नमूने के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है | अध्यापक बंधु अपनी आवश्यकतानुसार इस प्रारूप में परिवर्तन भी कर सकते हैं –

 

 

 

 

 

 


प्रश्न-पत्र रूपरेखा

(Blue-Print)

 

 

कक्षा-दसवीं                                                                                         विषय-हिन्दी-बी कोर्स                                                                                                     समय-तीन घंटा                                                                                      अंक-80                                                                                        

 

 

 

उद्देश्यानुसार अंक विभाजन / प्रश्नों के अनुसार अंक विभाजन (वार्षिक लिखित परीक्षा)

कुल अंक

क्रम

इकाई

ज्ञान

बोध/ अर्थ ग्रहण

अनुप्रयोग/अभिव्यक्ति/कौशल

 

 

 

वस्तुनिष्ठ

अतिलघु

लघु

    निबंधात्मक  

वस्तुनिष्ठ

अतिलघु

लघु

निबंधात्मक

वस्तुनिष्ठ

अतिलघु

 

    लघु

   निबंधात्मक

 

1

अपठित गद्यांश

 

 

 

10 (1)

 

 

 

 

 

10

2

व्यावहारिक व्याकरण

14(1)

 

 

 

 

 

2(1)

 

 

16

3

स्पर्श (गद्य खण्ड)

2(1)

 

 

2(3)

 

 

5(1)

 

 

 

 

 

13

4

स्पर्श (पद्य खण्ड)

2(1)

 

 

1(3)

 

5(1)

 

1(3)

 

 

 

 

13

5

 संचयन

 

2(3)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

06

6

व्यावहारिक /रचनात्मक लेखन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1(4)

1(3)

3(5)

22

 

आंशिक योग

18 (18)

5(1)

20(20)

1(3)

2(2)

2(7)

3(15)

80

 

 

23(33)

21(23)

7(24)

80

 

 

 

 


 

 

 

 

 

 

 


 

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें