छू लेतीं आकाश पतंगें ,
फिर भी रहतीं पास पतंगें .
पंख लगे पैरों को देतीं ,
उड़ने का विश्वास पतंगें .
छत पर धूम मचाते बच्चों -
की निश्छल परिहास पतंगें .
कटने से जो डर कर बैठीं ,
बन न सकीं इतिहास पतंगें .
चाहा जिधर घुमाया उसने ,
हैं डोरी की दास पतंगें .
नीली-पीली, रंग-बिरंगी ,
बचपन की मधुमास पतंगें .
जीवन की अंतिम सच्चाई -
का देतीं आभास पतंगें .
---डा. दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
फिर भी रहतीं पास पतंगें .
पंख लगे पैरों को देतीं ,
उड़ने का विश्वास पतंगें .
छत पर धूम मचाते बच्चों -
की निश्छल परिहास पतंगें .
कटने से जो डर कर बैठीं ,
बन न सकीं इतिहास पतंगें .
चाहा जिधर घुमाया उसने ,
हैं डोरी की दास पतंगें .
नीली-पीली, रंग-बिरंगी ,
बचपन की मधुमास पतंगें .
जीवन की अंतिम सच्चाई -
का देतीं आभास पतंगें .
---डा. दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
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