मै जग को दिशा दिखाने वाला परिवर्तन का नायक हूं ,
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं ,मैं शिक्षक हूं .
मै विश्वामित्र राम ने मुझसे मर्यादाये सीखी हैं
मै संदीपनि मुझसे मोहन से सभी कलाये सीखीं हैं .
मै ड्रोन पार्थ का धनुष मेरे ही पौरुष का प्रतिबिम्ब रहा
बल मेरा भीम की बाहों मे बनकर ओजस्वी रूप बहा .
मै चाणक्य ,चंद्रगुप्त को मैंने सम्राट बनाया था
मै हरीदास हूं मेरा ही स्वर तानसेन ने गाया था .
मेरी वाणी ने वेद लिखे मै दिव्य ज्ञान का सृष्टा हूं
मै वर्तमान का उन्नायक मै ही आगत का दृष्टा हूं .
मै ऋषि मुनियों का वंशज हूं नित-नित नव संधान किया
थामा है गिरतों को मैंने है पतितों का उद्धार किया .
मै गौरवशाली थाती का बनता आया संवाहक हूं ....
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं मै शिक्षक हूं ...
मै भावहीन चित्रों मे रंग भरकर उन्हें सजाता हूं
मै रहा सृजन का अनुयायी युग-युग से युग निर्माता हूं .
पाकर स्पर्श हमारा ही प्रतिभाये निखरी संवरी हैं
मेरे ही कौशल की अनगिन दुनिया दुनिया मे बिखरी है.
मै रहा ज्ञान का कोश कलाओं को मुझसे आधार मिला .
मेरे ही अथक परिश्रम से सुख-सुविधा का संसार मिला .
मै क्रुद्ध हुआ हिल गया व्योम मच गया शोर छिड़ गया युद्ध
जब-जब मै हुआ समाधिस्थ तब-तब अवतरित हुए बुद्ध .
मै नहीं स्वप्नजीवी केवल जो सोचा कर दिखलाया है
निस्वार्थ भाव से दुनिया को मैंने सर्वस्व लुटाया है .
हूं सबको खुशियां बांट रहा मै मानवता का गायक हूं ...
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं मै शिक्षक हूं ...
कुछ गिनी-चुनी पुस्तकें पढ़ा पूरा होता है कर्म नहीं
जिसने इसको व्यवसाय कहा उसने समझा कुछ मर्म नहीं .
शिक्षण तो एक तपस्या है सारा जीवन लग जाता है
तब जाकर कोई एक पुष्प पूरा उपवन महकाता है .
मै वही तपस्वी एक मित्र जीवन का गहन समीक्षक हूं
मत समझो सिर्फ कर्मचारी मत समझो सिर्फ परीक्षक हूं .
यदि शिक्षक का अपमान हुआ जग सुनो प्रलय मच जाएगा
खो जायेगी सभ्यता कहीं हर संस्कार मिट जाएगा .
यदि शिक्षक का मन टूट गया फिर आदिम युग आ जाएगा
अवरुद्ध विकास की गाड़ी को फिर आगे कौन .
मै इसी सत्य का आज यहां बना सहज उद्घोषक हूं ...
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं मै शिक्षक हूं ...
डा. दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं ,मैं शिक्षक हूं .
मै विश्वामित्र राम ने मुझसे मर्यादाये सीखी हैं
मै संदीपनि मुझसे मोहन से सभी कलाये सीखीं हैं .
मै ड्रोन पार्थ का धनुष मेरे ही पौरुष का प्रतिबिम्ब रहा
बल मेरा भीम की बाहों मे बनकर ओजस्वी रूप बहा .
मै चाणक्य ,चंद्रगुप्त को मैंने सम्राट बनाया था
मै हरीदास हूं मेरा ही स्वर तानसेन ने गाया था .
मेरी वाणी ने वेद लिखे मै दिव्य ज्ञान का सृष्टा हूं
मै वर्तमान का उन्नायक मै ही आगत का दृष्टा हूं .
मै ऋषि मुनियों का वंशज हूं नित-नित नव संधान किया
थामा है गिरतों को मैंने है पतितों का उद्धार किया .
मै गौरवशाली थाती का बनता आया संवाहक हूं ....
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं मै शिक्षक हूं ...
मै भावहीन चित्रों मे रंग भरकर उन्हें सजाता हूं
मै रहा सृजन का अनुयायी युग-युग से युग निर्माता हूं .
पाकर स्पर्श हमारा ही प्रतिभाये निखरी संवरी हैं
मेरे ही कौशल की अनगिन दुनिया दुनिया मे बिखरी है.
मै रहा ज्ञान का कोश कलाओं को मुझसे आधार मिला .
मेरे ही अथक परिश्रम से सुख-सुविधा का संसार मिला .
मै क्रुद्ध हुआ हिल गया व्योम मच गया शोर छिड़ गया युद्ध
जब-जब मै हुआ समाधिस्थ तब-तब अवतरित हुए बुद्ध .
मै नहीं स्वप्नजीवी केवल जो सोचा कर दिखलाया है
निस्वार्थ भाव से दुनिया को मैंने सर्वस्व लुटाया है .
हूं सबको खुशियां बांट रहा मै मानवता का गायक हूं ...
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं मै शिक्षक हूं ...
कुछ गिनी-चुनी पुस्तकें पढ़ा पूरा होता है कर्म नहीं
जिसने इसको व्यवसाय कहा उसने समझा कुछ मर्म नहीं .
शिक्षण तो एक तपस्या है सारा जीवन लग जाता है
तब जाकर कोई एक पुष्प पूरा उपवन महकाता है .
मै वही तपस्वी एक मित्र जीवन का गहन समीक्षक हूं
मत समझो सिर्फ कर्मचारी मत समझो सिर्फ परीक्षक हूं .
यदि शिक्षक का अपमान हुआ जग सुनो प्रलय मच जाएगा
खो जायेगी सभ्यता कहीं हर संस्कार मिट जाएगा .
यदि शिक्षक का मन टूट गया फिर आदिम युग आ जाएगा
अवरुद्ध विकास की गाड़ी को फिर आगे कौन .
मै इसी सत्य का आज यहां बना सहज उद्घोषक हूं ...
मेरा परिचय बस एक यही मै शिक्षक हूं मै शिक्षक हूं ...
डा. दिनेश त्रिपाठी 'शम्स'
दिनेश जी!
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया.. तभी तो मैं शिक्षकों को नमन करता हूँ.. इस नाते आप भी पूज्य हैं!!
- सलिल वर्मा
guru se badhkr is duniya me koi nhi hota, aakpi yeh kavita is bat ko purn rup se prstut krti h.....koi bhi mhan hasti guru k sanidhy bina mhan nhi ban sakta...jai gurudev nam prabhu ka !
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