ग़ज़ल
मेरे जीवन में जगमग उजाला
करो ।
नेह की दृष्टि
मुझपर भी'
डाला करो ।
मैं ज़माने की
ठोकर से जब भी गिरूं ,
अपनी' बाहों में मुझको संभाला करो ।
बन सको तो समाधान
बनकर रहो ,
यूँ समस्या न
केवल उछाला करो ।
ज़िन्दगी की हक़ीक़त
हो' कड़वी अगर ,
कुछ मधुर स्वप्न
आंखों में पाला करो ।
बेवजह अपना' मिलना नहीं ठीक है ,
कुछ बहाने मिलन
के निकाला करो ।
ख्वाहिशें कर न
लें खुदकुशी एक दिन ,
ख़्वाहिशों को
हमेशा न टाला करो ।
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