बुधवार, 10 अगस्त 2011

ग़ज़ल

मान घटता है प्यार जाता है ,
मांगने से मेयार जाता है .
प्यार करता है वो मुझे शायद ,
इसलिए मुझसे हार जाता है .
डूबने का न खौफ़ हो जिसको ,
बस वही शख़्स पार जाता है .
प्यार का सिर्फ़ इक हसीं लम्हा ,
ज़िन्दगी को संवार जाता है .
‘शम्स’ आता है वो शिफ़ा बनके ,
ताप मन का उतार जाता है .
डा. दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’   

1 टिप्पणी:

  1. प्यार का सिर्फ़ इक हसीं लम्हा ,
    ज़िन्दगी को संवार जाता है .....bhaut sunder hai bhaiya

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